शनिवार, 5 मार्च 2011

अमिताभ बच्‍चन से मुलाकात

मेरी बेटी रितिका ने एक दिन हमारी मुलाकात अमिताभ बच्‍चन से करा दी। वह तीसरी कक्षा में पढ़ती है। आजकल उसे एक शौक लगा है रोज़ सवेरे उठकर सबसे पहले अखबार देखने का। थोड़ा-थोड़ा पढ़ना सीख गई है। तो पहले अखबार में सबसे छोटी खबरें पढ़ती है। जैसे शहर में आज क्‍या हो रहा है। और किस टाकीज में कौन सी फिल्‍म चल रही है। आज टीवी पर कुछ खास आने वाला है क्‍या। कुछ और ऐसी ही खबरें देखती है।

उस दिन इतवार था। 6 फरवरी। सुबह करीब 8 बजे वह सोकर उठी। जब उसने अखबार का सिटी पन्‍ना खोला तो सबसे पहले खबर पढ़ी कि आज अमिताभ बच्‍चन भोपाल से मुम्‍बई जाने वाले हैं। खबर पढ़ते ही उसने अखबार का एक तरफ फेंका और मुझसे कहनी लगी, पापा चलो एयरपोर्ट चलते हैं। अमिताभ बच्‍चन से मिलकर आऍंगे। पहले तो मैंने उसे समझाने की कोशिश की कि अमिताभ बचचन से ऐसे नहीं मिल सकते यदि वो मुम्‍बई जा भी रहे हैं तो एयर पोर्ट पर तमाम तरह की सुरक्षा व्‍यवस्‍था होगी। लेकिन जब वह नहीं मानी तो हम लोग करीब साढ़े आठ बजे एयरपोर्ट पहुँच गए। मुम्‍बई जाने वाली फ्लाइट 9:25 पर थी। नौ बज चुके थे। लगभग इस फ्लाइट से जाने वाले सभी यात्री अन्‍दर जा चुके थे। अब तक हम तीनों एक पेड़ के नीचे खड़े थे। रितिका निराश थी। उसने अब तक मान लिया था कि उसने अखबार में गलत खबर पढ़ी थी। एयरपोर्ट के एक सुरक्षाकर्मी ने हमसे पूछा कि आप लोग किसी से मिलने आए हैं?” रितिका ने जबाब दिया कि हॉं हम अमिताभ बच्‍चन से मिलने आए हैं लेकिन शायद हमें गलत खबर मिली थी वो आज नहीं जा रहे हैं। उस सुरक्षाकर्मी ने कहा, नहीं आप सही समय पर आए हैं। थोड़ी ही देर में वे आने वाले हैं उनका निजि विमान है जिससे वे जाने वाले हैं। उसने एक जगह बताते हुए कहा कि आप लोग यहां खड़े हो जाएं कुछ ही समय बाद अमिताभ जी यहीं से निकलेंगे।

कोई दसेक मिनिट बाद स्‍थानीय कोतवाली का एक वाहन आया। और फिर उसके पांच मिनिट बाद ही एक काले रंग की वेगेनार से अमिताभ बच्‍चन ग्रे रंग के ट्रेक सूट पहने उतरे। वे गाड़ी से उतरकर तेज़ गति से एयरपोर्ट की ओर जाने लगे। रितिका ने ज़ोर से आवाज़ लगाई, सर मुझे आटोग्राफ दे दीजिए। अमिताभ ने उसकी आवाज़ सुनी हॉं बेटा कहा और वापस लौटकर रितिका के पास आए। उससे हाथ मिलाया। आटोग्राफ दिए और उसकी पीठ थपथपाकर वापस चले गए।

एक बच्‍चे की आवाज़ सुनकर वापस आना और उसे प्रोत्‍साहित करना, अमिताभ का इतना सरल और सहजपन वाकई कायल कर देता।

शिवनारायण गौर

3 टिप्‍पणियां:

  1. बधाई हो।
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    पर भैया, दो लोग तो समझ आए तीसरा आपके साथ कौन था ? हम तो अदांजा लगा रहे हैं कि जरूर ही बाली रही होगी। पर अच्‍छा होगा कि उनके नाम का भी उल्‍लेख करें। अमिताभ बच्‍चन की भोपाल यात्रा का संदर्भ भी दें।
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    अभिताभ बच्‍चन से मिलकर रितिका को कैसा लगा अगर यह भी लिखते तो और मजा आता।
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    खेत खेतखलियान पर यह लिंक नहीं खुल रही है।

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  2. आपका अंदाज़ा सही है। बाली भी हमारे साथ थे। अमिताभ बच्‍चन पिछले कुछ महीनों से भोपाल में ही हैं। प्रकाश झा की फिल्‍म आरक्षण की शूटिंग चल रही है। वे बीच बीच में मुम्‍बई जाते रहते हैं।

    रितिका को अमिताभ से मिलकर बहुत मज़ा आया। उसका एक उदाहरण दे‍खिए - लौटते समय हम लोग होटल नूर उस सभा गए। पहले उसका मन था कि बाकी लोग भी वहॉं है तो उनसे भी मिलते हैं। होटल में दीपिका पादुकोण, प्रतीक बब्‍बर और सेफ अली खान भी ठहरे हुए थे। जब हम लौटे तो प्रतीक बब्‍बर बाहर ही टहल रहे थे। रितिका ने वहां पहुंचकर किसी से भी मिलने का मन बदल दिया क्‍योंकि अमिताभ से मिलने के बाद वह कुछ ज्‍़यादा ही उत्‍साहित थी और इसलिए किसी से नहीं मिलना चाहती थी।

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  3. रितिका को दिए आटोग्राफ का फोटो लेकर यहां ब्‍लाग पर लगाओ तो और अच्‍छा लगेगा।
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    वैसे इस पोस्‍ट का एक पहलू और भी है कि आप जैसे पिता और बाली जैसी मां भी होनी चाहिए। जो बच्‍ची की एक इच्‍छा पूरी करने की कोशिश में असंभव को भी संभव बनाने निकल पड़े। बधाई।

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