अपने बारे में बताना थोड़ा कठिन काम है। पर फिर भी कुछ तो ज़रूरी है...। तो मैंने समाजशास्त्र और अर्थशास्त्र विषय में स्नात्तकोत्तर की औपचारिक पढ़ाई की है। इसके अलावा टाटा इंस्टीट्यूट आफ सोशल साइंस (टिस) से समाजशास्त्र व भाषा का एक माह का एक कोर्स किया है। साथ ही संस्थागत विकास में एक साल का एक कोर्स बैंगलौर की एक संस्था के तत्वावधान में किया है। शिक्षा में इसी तरह से लगभग एक छह माह का का एक और कोर्स किया है...। तो यह तो औपचारिक पढ़ाई के क्षेत्र हो गए। मैं 1995 से स्वयंसेवी क्षेत्र में काम कर रहा हूँ। प्रमुख रूप से ग्राम सेवा समिति, पीपुल्स रिसर्च सोसायटी तथा एकलव्य के साथ मेरा काम का जुड़ाव ज्यादा रहा है। दिशा संवाद नाम के एक बुलेटिन का लगभग सात साल सम्पादन किया है...। चरखा दिल्ली के साथ यदा-कदा कुछ कार्यशालाओं व अध्ययनों के तहत जुड़ाव रहा...। फिलहाल एकलव्य, भोपाल में सम्पादकीय कामों के अलावा शिक्षा के क्षेत्र में तमाम तरह के छुट-पुट कामों का में संलग्न हूँ...। लेखन-सम्पादन की प्रक्रिया पिछले लगभग पन्द्रह सालों से जारी रही है।
सम्पर्क- shivnarayangour@gmail.com
मक्का की उपज अधिक धूप के कारण बढ़ी है
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*आम* तौर पर मानकर चला जाता है कि पिछले तीन दशकों में संयुक्त राज्य अमेरिका
में मक्का की उपज में जो वृद्धि हुई है वह नई कृषि तकनीकों के कारण हुई है।
इनमें...
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